वो कह रहा था शिद्दत से, मुझसे मोहबत थी उसे
पता कब था हमको, फरेब देने की आदत थी उसे
कल किसी ने कहा मर गया बिना इलाज गरीब
सब लोग कह रहे थे हलकी सी हरारत है इसे
रिश्ता तोड़ कर दोस्त से उम्र भर मलाल रहा
कहा करता था बेवफा लड़की से मोहबत है तूझे
जाहिदो की बस्ती में वो मयखाना आबाद रहा
दर्द जब बढता है तो इल्म की जरुरत है किसे
पता कब था हमको, फरेब देने की आदत थी उसे
कल किसी ने कहा मर गया बिना इलाज गरीब
सब लोग कह रहे थे हलकी सी हरारत है इसे
रिश्ता तोड़ कर दोस्त से उम्र भर मलाल रहा
कहा करता था बेवफा लड़की से मोहबत है तूझे
जाहिदो की बस्ती में वो मयखाना आबाद रहा
दर्द जब बढता है तो इल्म की जरुरत है किसे