Friday 8 June 2012

वो कह रहा था शिद्दत  से, मुझसे मोहबत थी उसे
पता कब था हमको,  फरेब देने की आदत थी उसे

कल किसी ने कहा मर गया बिना इलाज गरीब
सब  लोग  कह रहे थे हलकी सी हरारत है  इसे

रिश्ता तोड़ कर दोस्त से उम्र भर मलाल रहा
कहा करता था बेवफा लड़की  से मोहबत है तूझे

जाहिदो की बस्ती में वो मयखाना आबाद रहा
दर्द जब बढता है तो इल्म की जरुरत है किसे






Sunday 11 December 2011

हिम्मत से किया है सफ़र का आगाज़ , ठोकरे खाने के बाद
रोशन  हुए  हैं   खाब  फिर से, शाम  ढल  जाने  के  बाद